ढाई करोड़ की आबादी वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश में अब तक सैकड़ो छत्तीसगढ़ी फिल्में बन चुकी है और टॉकीज तक पहुंच भी चुकी है। उन तमाम फिल्मों का फिल्मांकन उस समय की तकनीकी के अनुसार किया जाता रहा है लेकिन अब विज्ञान काफी आगे बढ़ चुका है और आज की तारीख में फिल्मों के फिल्माकंन हेतु अत्यधिक विकसित सामने आ गये है। इसी वजह से वर्तमान के हिंदी फिल्मों की पिक्चर क्वालिटी में बेहतरी देखने को मिल रही है।
उन्ही आधुनिक तकनीकी की ईजाद उत्कृष्ट कैमरा एरी मिनी एलेक्जा के द्वारा पहली बार छत्तीसगढ़ी फिल्म “गांव के जीरो शहर मा हीरो ” की शूटिंग मनोज राजपूत फिल्म के बैनर तले की जा रही है। यह फिल्म छत्तीसगढ़ की ऐसी पहली फिल्म है जिसे पूरी तरह से हिंदी फिल्मों व दक्षिण भारतीय फिल्मों में फिल्माए जाने वाली पूरी तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है।
यह छत्तीसगढ़ की ऐसी फिल्म का गौरव प्राप्त करेगी जो कि अब तक किसी फिल्म ने प्राप्त नहीं किया है।
आज के सीन में हीरोइन नेहा शुक्ला पिता बने भगवान तिवारी, पप्पू चंद्राकर, डमेन्द्र और नरेश साहू का एंट्रोसीन है। इस सीन में बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता भगवान तिवारी जी तथा नेहा शुक्ला की बहुत खूबसूरती के साथ एंट्री दिखाया गया है।
हीरो मनोज राजपूत अपने गांव को छोड़कर शहर में आ जाते हैं और अपने सपनों को पूरा करने के उद्देश्य को लेकर शून्य से शुरुआत करते हैं। इसी प्रयास के दौरान इनकी मुलाकात गर्जन सिंह, हीरोइन नेहा शुक्ला (लवली) के साथ एक असामान्य हालत में तकरार से होती है। यह दृश्य जबरदस्त मनोरंजक और रुचिकर तरीके से फिल्माया गया है।
फिल्म की हीरो मनोज राजपूत जी जो कि इस फिल्म के निर्माता है। इस फिल्म के माध्यम से छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण व अभिनय के क्षेत्र में कदम रखकर छत्तीसगढ़ के आम जनता के मन में अभी से जिज्ञासा उत्पन्न कर दिए हैं।
गांव से शहर आया मनोज काम की तलाश में भगवान तिवारी व नेहा शुक्ला के ऑफिस कार्यालय के प्रमुख गेट पर उपस्थित होकर बड़ी-बड़ी मंजिलों को निहारता रहता है तभी पिता गर्जन सिंह, नेहा शुक्ला का जबरदस्त संवाद होता है। अंत में गर्जन सिंह प्रभावित होकर उसे अपने यहां काम पर रख लेता है।
छत्तीसगढ़िया दर्शकों को यह स्टोरी अपनी स्टोरी लगेगी और वह इस फिल्म को बहुत पसंद करेंगे।
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